Thursday, 8 April 2021

हूक उठे

दिल में हूक उठे, तब, कोई कविता लिखे,
ज्यूँ, कोयल कूक उठे!

कैसी, यह गूढ़ विधा!
ज्यूँ रोगी मन, योगी सा हुआ!
वो नीर लिए, अपनी ही, पीड़ लिखे,
उलझी सी, जंजीर लिखे,
खुद रोए, खुद हँसे!

वो कविता लिखे, ज्यूँ, कोयल कूक उठे!

शब्द-शब्द, हों कंपित,
हों, मुक्त-आकाश, रक्त-रंजित,
वो मन के, खंड-खंड, भू-खंड लिखे,
ढ़हती सी, हिमखंड लिखे,
रक्त बहे, शब्द हँसे!

वो कविता लिखे, ज्यूँ, कोयल कूक उठे!

इक, प्यासा एहसास,
जागा हर दर्द, बड़ा ही खास,
सौ-सौ बार, अनसुन मनुहार लिखे, 
अनवरत, वो गुहार लिखे,
पढ़-पढ़, खुद हँसे!

दिल में हूक उठे, तब, कोई कविता लिखे,
ज्यूँ, कोयल कूक उठे!

- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 
   (सर्वाधिकार सुरक्षित)

16 comments:

  1. अति सुंदर रचना बधाई आपको आदरणीय

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    1. प्रेरक टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया शकुन्तला जी।

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  2. बहुत खूब ।

    वियोगी होगा पहला कवि
    आह से उपजा होगा गान
    उमड़ कर आंखों से चुपचाप
    बही होगी कविता अनजान ।
    पंत जी की ये पंक्तियां याद आ गयीं।

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    1. कहाँ आदरणीय पंत और कहाँ मैं, ...
      फिर भी मेरी रचना को इतना सम्मान देने हेतु आपका विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया स॔गीता जी।

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  3. बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ आदरणीय सर। सादर प्रणाम 🙏

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 08 अप्रैल 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. शब्द-शब्द, हों कंपित,
    हों, मुक्त-आकाश, रक्त-रंजित,
    वो मन के, खंड-खंड, भू-खंड लिखे,
    ढ़हती सी, हिमखंड लिखे,
    रक्त बहे, शब्द हँसे!---बहुत खूबसूरत शब्द हैं...

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    1. प्रेरक टिप्पणी हेतु विनम्र आभार, बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय संदीप जी

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  6. मेरी बात संगीता जी ने कहा दी। वेदना का सुंदर सरगम।

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  7. कवि के दिल का हाल चंद शब्दों में बड़ी ही खूबसूरती से आपने बयान कर दिया है !

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अनीता जी।

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  8. कम शब्दों में कहें तो शानदार अद्वितीय लेखन सर

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    1. विनम्र आभार आदरणीया प्रीति जी। हार्दिक स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर।।।।

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