उनकी किस्सों का, इक अंश हूँ अधूरा सा!
उन किस्सों में, अब भी हूँ थोड़ा सा!
मुकम्मल सा, इक पल,
उत्श्रृंखल सी, इठलाती इक नदी,
चंचल सी, बहती इक धारा,
ठहरा सा, इक किनारा!
सपनों में उनकी, अब भी हूँ थोड़ा सा!
इक अंश, अधूरा सा!
धारे के, वो दो किनारे,
भीगे से, जुदा-जुदा वो पल सारे,
अविरल, बहती सी वो नदी,
ठहरी-ठहरी, इक सदी!
सवालों में उनकी, अब भी हूँ थोड़ा सा!
इक अंश, अधूरा सा!
अधूरी सी, बात कोई,
जो तड़पा जाए, पूरी रात वही,
याद रहे, वो इक अनकही,
रह-रह, नैनों से बही!
ख्यालों में उनकी, अब भी हूँ थोड़ा सा!
इक अंश, अधूरा सा!
रुक-रुक, वो राह तके,
इस चाहत के, कहाँ पाँव थके!
उभर ही आऊँ, मैं यादों में,
जिक्र में, या बातों में!
उनकी किस्सों का, इक अंश हूँ अधूरा सा!
उन किस्सों में, अब भी हूँ थोड़ा सा!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
लाजवाब, बहुत ही खूबसूरत रचना, बहुत बहुत बधाई हो
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया ज्योति जी।
Deleteखूबसूरत रचना बधाई हो आपको आदरणीय 🌹
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया....
Deleteएक अंश थोडा सा हूँ , कुछ अधुरा सा हूँ ... बहुत खूबसूरती से मन के भावों को वर्णित किया .
ReplyDeleteविनम्र आभार आदरणीया....
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१७-०४-२०२१) को 'ज़िंदगी के मायने और है'(चर्चा अंक- ३९४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
विनम्र आभार आदरणीया....
Deleteबहुत सुन्दर और सार्थक ।
ReplyDelete--
विनम्र आभार आदरणीय...
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ReplyDeleteअधूरी सी, बात कोई,
जो तड़पा जाए, पूरी रात वही,
याद रहे, वो इक अनकही,
रह-रह, नैनों से बही!..बहुत सुंदर भावों भरी रचना ।
विनम्र आभार आदरणीया...
Deleteवाह! बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteआभारी हूँ नीतीश जी।।।।
Deleteरुक-रुक, वो राह तके,
ReplyDeleteइस चाहत के, कहाँ पाँव थके!
उभर ही आऊँ, मैं यादों में,
जिक्र में, या बातों में!
उनके किस्सों का, इक अंश हूँ अधूरा सा!
उन किस्सों में, अब भी हूँ थोड़ा सा!
अविस्मरणीय, भावभीनी पंक्तियाँ। बहुत सुंदर रचना।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया मीना जी।।।। आभार। ।।
Deleteबहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना लेखनी को नमन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया अभिलाषा जी।।।। आभार। ।।
Deleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया उषा किरण जी।।।। आभार। ।।
Deleteउनकी किस्सों का, इक अंश हूँ अधूरा सा!
ReplyDeleteउन किस्सों में, अब भी हूँ थोड़ा सा!
क्या बात है !!बहुत खूब... सादर नमन आपको
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कामिनी जी।।।। आभार। ।।
Deleteसवालों में उनकी, अब भी हूँ थोड़ा सा!
ReplyDeleteइक अंश, अधूरा सा!
मर्म को छूता सृजन, पुरुषोत्तम जी।
अप्रतिम।
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया कुसुम जी
Deleteवाह्ह्ह्ह्ह्ह!बेहद सराहनीय,बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ सर। कमाल की है आपकी लेखनी की धार।
ReplyDeleteसादर प्रणाम 🙏
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया आँचल जी।
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