अंजान सी, राह ये, सफर अंजाना,
बस, चले जा रहे, बेखबर इन रास्तों पर,
दो घड़ी, कहाँ रुक गए!
कदम, दो चार पल, कहाँ थम गए!
ये किसने जाना!
जाना किधर, ये है किसको खबर,
कोई रह-गुजर, रोक ले, ये बाहें थामकर,
खोकर नेह में, रुक गए,
किसी की, स्नेह में, कहाँ झुक गए!
ये किसने जाना!
रोकती है राहें, छाँव, ये सर्द आहें,
पर जाना है मुझको, तू कितना भी चाहे,
भले हम, छाँव में सो गए,
यूँ कहीं ठहराव में, पल भर खो गए!
ये किसने जाना!
कोई पल न जाने, भिगो दे कहाँ,
ये अँसुअन सी, नदी, ये बहता सा, शमाँ,
विह्वल, जो ये पल हो गए,
इक मझधार में, जाने कहाँ खो गए!
ये किसने जाना!
अंजान सी, राह ये, सफर अंजाना,
बस, चले जा रहे, बेखबर इन रास्तों पर,
दो घड़ी, कहाँ रुक गए!
कदम, दो चार पल, कहाँ थम गए!
ये किसने जाना!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
दो घड़ी, कहाँ रुक गए!
ReplyDeleteकदम, दो चार पल, कहाँ थम गए!
ये किसने जाना ..सुंदर रचना बधाई हो आपको आदरणीय
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया....
Deleteये नहीं जानना ही तो जीवन का रोमांच है । अति सुन्दर कथ्य और सृजन ।
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया ...
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 12-04 -2021 ) को 'भरी महफ़िलों में भी तन्हाइयों का है साया' (चर्चा अंक 4034) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
शुक्रिया महोदय
Deleteकोई पल न जाने, भिगो दे कहाँ,
ReplyDeleteये अँसुअन सी, नदी, ये बहता सा, शमाँ,
वाह बेहतरीन सृजन 👌👌
शुक्रिया आभार आदरणीया ...
Deleteबहुत सुंदर भाव, कोमल रचना, कोई रह-गुजर, रोक ले, ये बाहें थामकर,
ReplyDeleteखोकर नेह में, रुक गए,
किसी की, स्नेह में, कहाँ झुक गए
शुक्रिया आभार आदरणीय ...
Deleteबहुत सुंदर जीवन दर्शन से सिंचित लय बद्ध गीत, कोमल भाव सुंदर सुघड़।
ReplyDeleteशुक्रिया आभार आदरणीया ...
Deleteचलते रहना जीवन की शान है, खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया....
Deleteसुंदर और सरल भावों की अनुपम अभिव्यक्ति,सराहनीय सृजन,नववर्ष तथा नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई.... जिज्ञासा सिंह
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