जागती आँखों में, कोई सपना तो होगा!
इसलिए, वो जागता होगा!
वो भला, सो कर क्या करे!
जिन्दा, क्यूँ मरे?
जीने के लिए,
वो शायद, जागता होगा!
जागती आँखों में, कोई सपना तो होगा!
क्या ना कराए, दो रोटियाँ!
दर्द, सहते यहाँ!
उम्मीदें लिए,
वो शायद, जागता होगा!
जागती आँखों में, कोई सपना तो होगा!
यूँ जिक्र में, फिक्र कल की!
जागते, छल की,
आहटें लिए,
वो शायद, जागता होगा!
जागती आँखों में, कोई सपना तो होगा!
फिर भी, जीतने की जिद!
वही, जद्दो-जहद,
ललक लिए,
वो शायद, जागता होगा!
जागती आँखों में, कोई सपना तो होगा!
जलाकर, उम्मीदों के दिए!
आस, तकते हुए,
चाहत लिए,
वो शायद, जागता होगा!
जागती आँखों में, कोई सपना तो होगा!
इसलिए, वो जागता होगा!
- पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)