Tuesday, 29 December 2015

प्यासे जीवन की आशा

आग वो जो जीवन पीकर जलती है,
प्यार वो जो प्यालों में डूबकर मिलती है,
कोमलता वो जो तुम संग मिलती है,
मधुरता वो उस क्षण प्राणों में बसती है।

प्यास वो जो गरल पीकर बुृझती है,
आँसू वो जो तेरी यादों में बहती है,
सम्मुख वो जो जग से विमुख रहती है,
लहर वो जो तुझ संग हृदय में उठती है।

ओह! मन तू समझ ले जीवन की परिभाषा,
डाल दृष्टि उस अचेतन पर तू तजकर निराशा,
विमुख जो तुझको दिखता, वही है तेरे सम्मुख,
गरल मे ही संचित है, प्यासे जीवन की आशा।

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