Tuesday, 29 December 2015

रहने दो तुम मत दो आस

रहने दो तुम.....!
अब मत करो बात।
भूल जाओ,
अब मत दो आस।
तुम्हारे होंगे असंखय दोस्त,
मिटती होगी जिनसे
तेरी प्यास,
मेरी तो बस एक ही आस,
ला सकता था जो मधुमास,
स्मृति से तेरे हुआ मैं विस्मृत,
बस अब तो,
छोड़ चला हूँ आस।
न मिट सकेगी अब,
इस मन की प्यास।
रहने दो तुम....!
भूल जाओ, मत दो आस,
रहने दो तुम.....!
मत करो बात।
गुजरा हुआ वक्त हूँ मैं,
लौट नही फिर आउँगा,
यादों मे रह जाऊँगा साथ,
रहने दो तुम.....!

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