Wednesday, 6 April 2016

कल मिले ना मिले

 
दरमियाँ जीवन के इन वयस्त क्षणों के,
स्वच्छंद फुर्सत के एहसास भी हैं जरूरी! ..सही है ना?

दरमियाँ इन धड़कते दिलों के,
धड़कनों के एहतराम भी हैं जरूरी !
कही खो न जाएँ यहीं पे हम,
खुद से खुद का पैगाम भी है जरूरी!

तुम सितारों मे घुमती ही रहो,
नजरों से जमीं का दीदार भी है जरूरी!
आईने मे खुद का दीदार कर लो,
तारीफ चेहरे को गैरों की भी है जरूरी!

जिन्दगी में कितना ही सफल हो,
खुशी पर अपनों की खुशी भी है जरूरी!
जिन्दगी में तुम मिलो न मिलो,
मिलते रहने की कशिश भी है जरूरी!

मौसमों की तरह रंग बदल लो,
मौसम रिमझिम फुहार के भी हैं जरूरी!
कल वक्त ये फिर मिले ना मिले,
आज जी भर के जी लेना भी है जरूरी!

दरमियाँ जीवन के इन वयस्त क्षणों के,
स्वच्छंद फुर्सत के एहसास भी हैं जरूरी! ..सही है ना?

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