Thursday, 21 April 2016

मन में प्रतीक्षा के ये पल

साँसे लेती रहें सदा, प्रतीक्षा के ये पल मन में!

सुन ओ मीत मेरी,
प्रतीक्षा की उन्मादित पल के,
गीत वही फिर गाता है मन,
तेरी कल्पित मधुर प्रतीक्षा के।

गीत गाती रहें सदा, प्रतीक्षा के ये पल मन में!

सिहरन बिजुरी सी,
कैसी प्रतीक्षा की इस क्षण में,
ये राग बज रहे विषम,
आस-निराश की उलझन में।

सुलगती रहें सदा, प्रतीक्षा के ये पल मन में!

प्रतीक्षा की ये घड़ियाँ,
होते मादक मिलन के पल से,
तरंग पल-पल उठते,
सिहरित आशा की आँगन में।

तरंगित होती रहें सदा, प्रतीक्षा के ये पल मन में!

ओ मेरे प्रतीक्षित मीत,
प्रतीक्षा की पल को तु कर दे विस्तृत,
धुन वही एक तेरी होती रहें तरंगित,
पलकें बिछ जाएँ बस इक तेरी आशा में।

साँसे लेती रहें सदा, प्रतीक्षा के ये पल मन में!

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