Friday, 19 February 2016

मदहोश मन

ये दिलकश मदहोशियों के पल,
दायरों में दिल के मची है आज हलचल
सुरमई साँझ खिल रही आज मचल।

मदहोश हो रहा आज मेरा ये मन,
कौन से बंधन मे बंध रहा आज ये मन,
खींच रहा किस डोर से ये बंधन।

मदहोशियों की चादर फैली यहाँ,
बदले बदले से आज मौसमों की दास्ताँ,
महकी सी हर दिशा आज है यहाँ।

अन्जाना सा ये दिलकश बंधन,
अन्जान राहों पे जाने किधर चला ये मन,
मदहोश धड़क रहा आज ये मन।

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