ये अपना दिल न होता बेचारा,
गर जिन्दगी की राहों मे न आपसे मिला होता,
फलसफे चुन चुन कर रुशवाईयों के,
कागजों पे न आज लिख रहा होता।
ये अपना दिल न होता बेचारा,
गर सादगी पे आपकी ये न मर मिटा होता,
समुन्दर की बार बार उठती लहरों से,
पता आपका न आज पूछ रहा होता।
ये अपना दिल न होता बेचारा,
गर रूह की गहराईयों में न आपको बिठाया होता,
चूर चूर हो चुके इस दिल के हर टुकड़े से,
नाम आपका ही न आ रहा होता।
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