जुदाई के अंतहीन युगों जैसे पल,
झकझोरते शांत हृदय को हरपल,
फासलों के क्षण बढ़ते आजकल,
लाचार मन आज फिर है विकल।
खामोश सी अब जुदाई की घड़ियाँ,
मन कर रहा अब मन से ही बतियाँ,
नैनों में डूबती चंद यादों की लड़ियाँ,
फासले अमिट सी दिल के दरमियाँ।
दिन बीतते महीने साल कम होते,
हर क्षण जीवन के पल कम होते,
वक्त के करम कब दामन मे होते,
किस्मत होती गर तुम मिल जाते।
झकझोरते शांत हृदय को हरपल,
फासलों के क्षण बढ़ते आजकल,
लाचार मन आज फिर है विकल।
खामोश सी अब जुदाई की घड़ियाँ,
मन कर रहा अब मन से ही बतियाँ,
नैनों में डूबती चंद यादों की लड़ियाँ,
फासले अमिट सी दिल के दरमियाँ।
दिन बीतते महीने साल कम होते,
हर क्षण जीवन के पल कम होते,
वक्त के करम कब दामन मे होते,
किस्मत होती गर तुम मिल जाते।
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