हे माता! तुम ही रश्मिप्रभा, तुम मरीचि मेरी।
तुम वाणीश्वरी, तुम शारदा,महाश्वेता तुम ही,
तुम ही ऋतुराज, कुसुमाकर, तुम मधुऋतु,
धनप्रिया, चपला, इन्द्रवज्र दामिनी तुम ही।
रेत, सैकत हम कल्पतरू परिजात तुम ही।
तुम ही नियति, विधि, भाग्य, प्रारब्ध तुम ही,
तुम कमला, तुम पद्मा, रमा हरिप्रिया तुम ही,
तुम हो मोक्ष, मुक्ति, परधाम, अपवर्ग तुम ही,
तुम हो जननी, जनयत्री, अम्बाशम्भु तुम ही।
तुम रम्य, चारू, मंजुल, मनोहर, सुन्दर तुम ही,
पुष्प, सुमन, कुसुम, मंजरी अर्पित तुम पर ही।
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