भरम सा हो रहा है मन को, या ये आहट है उनकी.....?
एक छुअन सी महसूस होती हर पल,
एहसास अंजान खुश्बु की पल पल,
खामोशी फैली दिल के प्रस्तर पर प्रतिपल,
फिजाओं में पल पल कैसी है हलचल.......!
भरम सा हो रहा है मन को, या ये आहट है उनकी.....?
एहसास अंजान खुश्बु की पल पल,
खामोशी फैली दिल के प्रस्तर पर प्रतिपल,
फिजाओं में पल पल कैसी है हलचल.......!
भरम सा हो रहा है मन को, या ये आहट है उनकी.....?
अदृश्य अस्तित्व क्यों हर पल उसकी,
ध्वनि है यह किस मूक आकृति की,
गुंजित हो रही वादियाँ ध्वनि से किसकी,
आह सी मन से निकल रही आज किसकी....!
भरम सा हो रहा है मन को, या ये आहट है उनकी.....?
पत्तियों में पल पल ये सरसराहट कैसी,
सिहरन सी बदन में छुअन की कैसी,
जेहन में हर पल गूंजती ये आवाज कैसी,
एहसास नई जगी दिल मे आज कैसी.......!
भरम सा हो रहा है मन को, या ये आहट है उनकी.....?
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