सोंचता हूँ कभी!
किसने सीमित की?
जीवन के विविध धुनों को,
सात अारोह-अवरोह के स्वरो.....
सा, रे, ग, म, प, ध नी, सा,....में,
किसने कोशिश की जीवन धुन को
परिमित करने की?
जीवन के धुन तो हैं अपरिमित,
संभव नही कर पाना,
इनकी जटिलताओं को सीमित!
सोंचता हूँ कभी!
किसने सीमित की
जीवन के विविध रंगों को,
इन्द्रधनुष के सात रंगों......
बै, नी, आ, ह, पी, ना, ला....,में,
किसने कोशिश की जीवन रंग को
सीमित करने की?
जीवन के रंग तो हैं असीमित,
संभव नही कर पाना,
इनकी विविधताओं को सीमित!
सोंचता हूँ कभी! जीवन के रंग, धुन तो हैं अनंत!
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