शायद कितने मृत चाह दफन उनमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
अजब सी अपूरित आस है इनमें,
जीवन का एक टूटा विश्वास इनमें,
कत्ल होते अरमानों की तस्वीर इनमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
अजब सी अपूरित आस है इनमें,
जीवन का एक टूटा विश्वास इनमें,
कत्ल होते अरमानों की तस्वीर इनमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
हृदय विदारक दर्द की यादें समेटे,
भविष्य की विकराल चिंताएं लपेटे,
आशा के महलों के सब चौखट टूटे,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
घने अँधेरों सा काला कोहरा इसमें,
तुफानी बवंडर सी डर का घेरा इसमें,
खूनी उत्पात सा है रैन बसेरा इसमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
शायद कितने मृत चाह दफन उनमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
आशा के महलों के सब चौखट टूटे,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
घने अँधेरों सा काला कोहरा इसमें,
तुफानी बवंडर सी डर का घेरा इसमें,
खूनी उत्पात सा है रैन बसेरा इसमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
शायद कितने मृत चाह दफन उनमें,
सिहर जाता हूँ उन आँखों को देख!
No comments:
Post a Comment