कहानी क्षणिक पतंगे सी,
अमर प्रीत,
है तेरी जलते दीपक सी,
था लघु,
था लघु,
जीवन तेरी प्रीत का,
पर उम्र सारी,
पर उम्र सारी,
तूने याद में बीता दी,
कह सकुंगा,
कह सकुंगा,
न मै ये जलती कहानी।
मेरे ठंढ़े हृहय में,
मेरे ठंढ़े हृहय में,
अधूरी वो जलती कहानी।
मैं भूलना चाहता,
अब वो जलती कहानी,
जिऊ कैसे,
जिऊ कैसे,
जब आग उर में होे फानी,
क्या तुम कह पाओगी,
क्या तुम कह पाओगी,
फिर कोई नई कहानी,
क्या तेरे हृदय,
क्या तेरे हृदय,
सजेगा आज ठंढा पानी,
क्षणिक पतंगे की,
क्षणिक पतंगे की,
आग तुझको है फिर जलानी,
मेरे ठंढ़े हृहय में,
मेरे ठंढ़े हृहय में,
तब पू्री होगी वो जलती कहानी।
No comments:
Post a Comment