सुरमई यादों के साये,
उड़ रहा बादलों के संग मे।
तुम छिपे हो किन परछाईयों मे,
मेरे गीत तुझको पुकारते,
मचल कर हवाओं के संग में।
शमां बदल रहा है मदहोशियों मे,
दिये जल रहे सुलगते,
बेचैनियाँ अब तन्हाईयों के संग में।
गुफ्तगु कर रहा दिल विरानियों मे,
अपनी ही परछाईयों से,
दब चुके खामोशियों के संग में।
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