Monday, 11 January 2016

ठहरा हुआ पल

पल जो इक ठहर गया,
सिलसिले थम से गए,
मिलने जुलने और बातों के,
रास्ते गुम हुए कोहरो की धुंध में,
तुफान थम गए हसरतों के,
वक्त ठहर सा गया है यहीं,
उस पल की तानाइयों मे।

यादों के धुंधले से कारवाँ,
नजरों से गुजरती झीनी परदों सी,
उस पल की भीनी खुशबु,
अब भी फैल जाती है सासों मे,
जम सी जाती हंदयस्पंदन,
गति धड़कनों की थमी,
वक्त ठहर सा गया है कहीं,
उन पल की अमराइयों मे।

मंद बयार चल पडे थे उस पल,
बहक से गए जो तुमको छुकर,
अब तक बह रही ख्यालों में,
सप्तरंग घुले दिल की फजाओं में,
जेहन में बिखर गहरा गए है वो,
अटखेलियाँ उन लम्हों की
महफूज है दिल के कोने मे,
संगमरमर के मूरत की तरह,
वक्त ठहर सा गया है,
उस पल की अंगराइयों मे।

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