छंद रचता कोई गीत गाता उम्मीद का,
हसरतें पलती दिलों मे इक उम्मीद की।
ख्वाहिशें पुरस्सर हुई हैं यहाँ उम्मीद से,
फूल खिलते वादियों मे इक उम्मीद से।
तन्हा बसर करता जहाँ इक उम्मीद से,
उम्र कटती गालिबों की इक उम्मीद से।
कोई छोड़ पाता नहीं दामन उम्मीद का,
मुफलिसी में भी पला लम्हा उम्मीद का।
उम्र भर उम्मीद की पंख लिए उड़ते रहे,
पंख उम्मीदों के यहाँ हर पल कतरे गए।
No comments:
Post a Comment