स्नेह दिया माँ, भाईबन्धु,पत्नी, बच्चों ने मिल,
आशीष की भेंट मिली स्निगध छटा स्वप्निल,
वृष्टि शुभकामनाओं की हुई मुझको हासिल।
यूँ तो हर पल घट जाते हैं जीवन के कुछ क्षण,
इस लघु होते जीवन में जी गया मैं कुछ क्षण,
माता व पत्नी ने शीष नवाया ईश्वर के सम्मुख,
आस्था संगिनी की भाव जगाता सत्यवान सम।
मैं भाग्यवान कितना जन्मदिन मना पाता हूँ,
आशीष बड़ो से लेकर छोटों को प्यार देता हूँ,
नववस्त्र का उपहार मिलता मिष्ठान्न खाता हूँ,
जीवन चक्र मे जन्मदिन प्रेम का बिता पाता हूँ।
नववस्त्र का उपहार मिलता मिष्ठान्न खाता हूँ,
जीवन चक्र मे जन्मदिन प्रेम का बिता पाता हूँ।
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