धूप की घनी छाँव तुम,
शीतल चाँदनी सम तुम प्रखर,
सुख का एहसास तुम,
वृक्ष की लताओं सी बिखरी जुल्फें,
नैन पनघट मरुद्यान सम,
ठहर जाऊँ मैं तनिक विश्राम कर लूँ।
ठंढ की गर्म धूप तुम,
प्रात: किरण सम तुम उज्जवल,
नर्म मखमली ओस तुम,
हलकी घटाओं सी बलखाती चाल,
रूप सुलगती आग सम,
ठहर जाऊँ मैं तनिक आराम कर लूँ।
बारिश की बूँद तुम,
मधु कण मधु सम तुम मधुर,
शुष्क हृदय की चाह तुम,
बूँदों से भरी बादलों सा भीगा चेहरा,
ओष्ठ लरजते बादलों सम,
ठहर जाऊँ मै तनिक संग तेरे भीग लूं ।
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