Thursday, 14 January 2016

तेरी यादों का सफर

धुंधली सी एक झलक पाने को,
अक्सर खो जाता हूँ 
फिर तेरी यादों में....,
छम से तुम आ जाती हो...
अपलक झलक दिखा के,
क्षण में गुम हो जाती हो,
फिर कोहरे में कहीं....

उन चँद पलों मे,
खुद को बिखेर देता हूँ मैं,
अपने आपको....
पूरी तरह समेट भी नही पाता,
तुम वापस चली जाती हो,
अगले ही पल....

जाने किन कोहरे में गुम,
खोए हम गुमसुम,
समय के नस्तर चलते जाते हैं,
दिलों पर नासूर बन...

तुम्हारी एक झलक पाने को,
वापस तुम्हे बुलाने को...
फिर तेरी यादों में खो जाता हूँ....,
अक्सर तुम आ जाती हो यादो में फिर...

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