Tuesday, 26 January 2016

तू लम्हों मे रह

लम्हों की दास्तान से,
बनी है कहानी कायनात की,
दो लम्हा प्यार का मैं भी गुजार लूँ,
इक कहानी प्यारी सी बन जाए मेरी भी!

लम्हा ठहर गया अगर,
रुक जाएगी सारी कायनात भी,
दो पल संग-संग चल साथ गुजार लूँ,
संग तेरे गुजर जाए रास्ते जिन्दगी की मेरी भी!

लम्हा लम्हा लम्हों मे रह,
रच रच सृष्टि करता कायनात की,
दो लम्हा तू भी मुझमें गुजर बसर ले,
रच सँवर जाए छोटी सी कायनात कही मेरी भी!

तू मेरा सुखद लम्हा वही,
तू कहानी मेरे अमिट प्यार की,
दो घड़ी सुख के फिर संग तेरे गुजार लूँ,
रच बस जाएंगी यादें अन्तस्थ तुझमे कही मेरी भी!

No comments:

Post a Comment