Saturday, 9 January 2016

ममता

ममता माता के कोख से जन्मी,
प्रसव पीड़ा संग उर लहलहाई,
नवजीवन के आहट संग उपजी,
वात्सल्य के आँसू बन बिखरी।

भाव दुलार मधुर वात्सल्य ,
मिलते ममता की गाँव में,
लालन पालन लाड़ प्यार,
सब ममता की छाँव में।

फलिभूत होता जीवन कण,
सुरभित ममता के अाँचल संग,
ममता वसुधा के कण-कण,
पुचकारती जनजन के मन।

सुख कल्पना नहीं ममता बिन,
राग विहाग नही ममता बिन,
नित सू्र्यालाप नही ममता बिन,
सृष्टि अधूरी ममता बिन।

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