Friday, 1 January 2016

महनिर्वाण मृत्यु मे शायद

महनिर्वाण मृत्यु मे शायद!

पंथ जिसपर ईश्वर का निवास है,
आत्माएँ विलीन जहाँ हो जाती है,
विकार मन के जहाँ घुल जाते हैं,
महानिर्वाण शायद वहीं मिलता है।

ईश तत्वग्याण का प्रारंभ जहाँ है,
किरण सत्यमार्ग का फूटता जहाँ है,
आशा-निराशा का उत्थान जहाँ है,
महानिर्वाण शायद वहीं मिलता है।

आधार स्तम्भ जो जीवन का है,
प्रारंभ वही तो महाजीवन का है,
जीवन मृत्यु जिसकी सीमा रेखा है,
महानिर्वाण शायद वहीं मिलता है।

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