एक बार जो कह दे तू!
आसमानों के मध्य आकर,
बादल वही पर ठहर जाएंगे।
एक बार जो कह दे तू!
विरानों के सीने मे जाकर,
कोलाहल से ये भर जाएंगे।
एक बार जो कह दे तू!
इन बागों के समीप जाकर,
फूल भी खिलना भूल जाएंगे।
एक बार जो कह दे तू!
ब्रम्हांड के कहकहों में आकर,
भूमण्डल वहीं पर ठहर जाएंगे।
तू कहता क्यूँ नही कुछ?
क्या तेरे कण्ठ अवरुद्ध है?
तू कह दे तो मनप्राण खिल जाएंगे।
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