मोह पास के बन्धन मे बंधे फसे हम,
छोटी सी इस दुनिया में फिर मिले हम,
कौंध गयी फिर यादों की बिजलियां,
फिर एक बार मोह की जुड़ी लड़ियाँ।
पहचान उसी मोह में आज तेरी जुड़ी,
जो नित नयी जोड़े जिन्दगी की लड़ी,
पर देख इतिहास दुबारा घटित होता नहीं,
बिछुड़ेंगे फिर हम छोड़ बन्ध मोह के घड़ी?
छोटी सी इस दुनिया में फिर मिले हम,
कौंध गयी फिर यादों की बिजलियां,
फिर एक बार मोह की जुड़ी लड़ियाँ।
पहचान उसी मोह में आज तेरी जुड़ी,
जो नित नयी जोड़े जिन्दगी की लड़ी,
पर देख इतिहास दुबारा घटित होता नहीं,
बिछुड़ेंगे फिर हम छोड़ बन्ध मोह के घड़ी?
No comments:
Post a Comment