सितारों की हद से भी दूर,
गम की सरहदों के पार,
ख्वाबों में कहीं इक दुनियाँ,
शायद तू रहती होगी वहाँ।
पर्वतों के सायों के पीछे,
मन की कल्पनाओं से भी दूर,
ख्यालों की सरहदों के पार,
हसीन सी कहीं है वादियाँ,
शायद तू रहती होगी वहाँ।
हसरतों की सदाओं के पीछे,
रंजो-गम की पहुँच से भी दूर,
अवसाद-विसाद की सरहदों के पार,
मुखरित होती सुंदर सी कलियाँ,
शायद तू रहती होगी वहाँ।
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