एक जीवन ही तो छूटा है,
शाखा था ईक विशाल,
बस शाखा ही तो टूटा है,
छाए थे जिनके फलदार घने,
विधि ने बस इतना ही तो लूटा है।
तू शोकाकुल मत हो!
शाख गुलशन में और भी हैं,
निराशा तज, नई शाखा तू चुन,
एहसास जीवन का पाने को,
अधीर न हो, सहारा तू इक नई ढूंढ़,
या नीर तू खुद विशाल बन जा,
शीतल तू बन गैरों का तू छाया बन जा।
तू शोकाकुल मत हो!
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